लेखक:
शेष नारायण सिंह
शेष नारायण सिंह जन्म : 16 फरवरी, 1951 शिक्षा : एम.ए. (इतिहास), गोरखपुर विश्वविद्यालय शिक्षा समाप्ति के बाद सुलतानपुर के एक डिग्री कॉलेज में दो वर्ष तक अध्यापन करने के बाद पूर्णतः पत्रकार बन गये। 1993 में राष्ट्रीय सहारा में एडिट पेज इंचार्ज, 1994 से 1996 तक बीबीसी की हिन्दी सेवा के लिए फ्रीलांस लेखन, 1995 से 1996 तक एक साप्ताहिक पत्रिका में विशेष संवाददाता, 1996 से 1998 तक हिन्दी दैनिक जेवीजी टाइम्स में ब्यूरो चीफ़, 1998 से 2004 तक एनडीटीवी में उप समाचार सम्पादक, 2005 से 2008 तक जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन में प्रोफेसर तथा 2009 से 2011 तक शहाफत में एसोसिएट एडिटर तथा इसके बाद 2011 से आखिरी वक्त तक ‘देशबन्धु’ में राजनीतिक सम्पादक के पद पर कार्यरत रहे। गंगा-जमुनी संस्कृति की मिसाल शेष नारायण सिंह अपने समय के उन विरले पत्रकारों की परम्परा के सम्भवतः सबसे सशक्त और अनुभवी पत्रकार थे जो पत्रकारिता के जनवादीकरण को प्राथमिकता देने को वकालत तो करते ही थे लेकिन साथ ही उसमें निहित विसंगतियों की पुरजोर मुखालफ़त भी करते थे। उनका पत्रकारीय जीवन कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा। राजनीतिक विश्लेषण हो या फिर कोई अन्य मुद्दा, वे हमेशा शालीन बने रहे। वस्तुतः आजकल के आक्रामक और शोर मचाने वाले पत्रकारों के बरअक्स वे पत्रकारिता के आदर्श या यों कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वे अपने परवर्ती पत्रकारों के लिए एक प्रकाश-स्तम्भ की तरह थे जिनसे निश्चय ही उन्हें प्रेरणा लेनी चाहिए। निधन : 7 मई, 2021 |
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शेष जीशेष नारायण सिंह
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